आरजू के मुशाफिर भटकते रहे,
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कोई पुरानी याद मेरा रास्ता रोके , मुझसे कहती है !
इतनी जलती धुप में कब तक भटको गे,
आओ , चलके बीते दिनों की छाओ में बैठें,
उस लम्हे की बात करें,
जिसमे कुछ फुल खिले थे !
उस लम्हे की बात करें,
जिसमे किशी आवाज़ की चांदी खनकी थीं!
उस लम्हे की बात करें,
कोई पुरानी याद मेरा रास्ता रोके , मुझसे कहती है !
इतनी जलती धुप में कब तक भटको गे!!!
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आरजू के मुशाफिर भटकते रहे,
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